Saturday 4 May 2013

JAI BHIM

                                                                 जय  भीम 
आज भारत में "जय भीम " कहकर नमस्कार लेने वालों की संख्या कम से कम 5 करोड़ है। जो किसी एक 5 करोड़ वाले स्वंतंत्र देश की कुल लोक संख्या के बराबर है।
भारत में 'जय भीम ' - नमस्कार लेने का चलन डॉ . बाबासाहेब आंबेडकर के जीवन में ही उनके सामाजिक आन्दोलन ' महाड  का  पानी का सत्याग्रह ' से शुरू हुआ था।
'POONA PACT ' यदि नहीं होता, तो डॉ . बाबासाहेब आंबेडकर का " SEPARATE SETTLEMENT " ऐसा एक ' स्वंतंत्र वसाहत ' होता, जो अपने आप में एक स्वंतंत्र देश कहलाता,जिसमे स्वन्तन्त्रपुर्वक रहनेवाले लोग सिर्फ ' जय भीम' कहने वाले होते। लेकिन ' जय भीम ' कहनेवालों का ऐसा दुर्भ्याग्य है जिस पर ' गाँधी  और उसकी कांग्रेस ' ने उनके मुंह का ही निवाला सदा के लिए छीन लिया। निवाला छीन लेने के कारण  आज ' जय भीम ' वाले सत्ता से बेदखल है। सत्ता से बेदखल होने के कारण जय भीम वाले गाँधी और कांग्रेस के गुलाम है। यह एक नए प्रकार की गुलामी हम जय भीम वालों पर थोपी गई है। जिसे हम लोगोंको समजना चाहिए। इसका एक नयी दृष्टी कोण से, नए अंदाज से स्वंतंत्र पूर्वक अभ्यास करना चाहिए। जब तक कांग्रेस जिन्दा रहेगी तब तक जय भीम वाले भारत पर राज नहीं कर सकते। ' भारतीय जनता पार्टी ' भी कांग्रेस का एक कट्टर रूप है जिसे जहाल रूप कहते है - वह कांग्रेस पार्टी से भी महा भयानक रूप है, भारत में बुद्ध और उसके धम्म को बिलकुल बर्दास्त नहीं करती। भारतीय जनता पार्टी का महानायक - श्रीराम है - जिसने शुद्र लोगों के राजा ' शम्भुक ' जो बुद्ध ने बताई ' ध्यान साधना 'कर रहा था, उसका निष्कारण वध किया।
तुम्हारा कोई भी मित्र नहीं है। वेदों के ग्रन्थ तुम्हारे खिलाफ लिखे गये है। पुराण जिनकी संख्या डॉ . भंडारकर के मुताबित कम से कम 222 है, वे सभी ग्रन्थ तुम्हारे खिलाफ लिखे गया है। ' रामायण ' और ' महाभारत ' ये दोनों ग्रंथो की रचना तुम्हारे खिलाफ रची गई है। ' मनुस्मृति ' जो इनका संविधान है वो भी तुम्हारे लोगोंको दण्डित करने के लिए लिखा गया है। आप ये सभी ग्रन्थ पढ़कर देख लीजिये। आप को सत्य और झूठ समाज में आ जायेगा। विश्व के सभी देशों के लोगों ने ये सभी ग्रन्थ पढ़ना चाहिए।
आप और आप की आने वाली संताने ऐसे भारत में फिर कैसे जियेंगे? इसका हल तो आप को ही ढूढना होगा।
हम ' GOOD MORNING ' के बदले हम ' GOOD MORNING ' कहते, लेकिन हम लोग ' जय भीम ' नहीं कहते, और तो और सामने ' GOOD MORNING ' कहने वाला भी हम ' जय भीम ' कहने पर ' जय भीम ' नहीं कहता।
ठीक वैसे ही ' वालेकुम सलाम ' कहने पर हम लोग ' सलाम वालेकुम ' कहते है, पर हम लोग उनको ' जय भीम ' कहने पर वो लोग बदले में ' जय भीम ' नहीं कहते।
ठीक वैसे ही ' जय श्रीराम ',  ' जय कृष्ण  ' , ' राधे राधे ', ' हर हर महादेव ',  और न जाने कितने प्रकार के नमस्कार हम लोग कहते है - लेते है, पर बदले में वे लोग हमें कभी भी ' जय भीम ' नहीं कहते।  ऐसा रवाया इन  लोंगों का क्यों है? क्या इससे भाईचारा पैदा होगा?
आज कल और एक नया चलन पैदा हुआ है। ' जय भीम ' के द्वारा पैदा होनेवाला  ' नमो बुद्धाय ' अब हम से        ' जय भीम ' नहीं लेता और बदले में हमें ' नमो बुद्धाय ' कहने के लिए कहता है। यह कैसी विडंबना है, यह कैसी मानसिकता है। इसे ' ब्राह्मणवादी ' मानसिकता कहते है। हम तुमसे 'श्रेष्ठ' है। क्या विश्व का कोई भी भिक्षु डाक्टर आंबेडकर से बड़ा हो सकता है? हमें इसका उत्तर चाहिए। क्या पिला चीवर- कपड़ा धारण करने से डॉक्टर आंबेडकर से बड़ा हो सकता है। डॉक्टर आंबेडकर ने दस लाख लोगों के साथ जो धर्मचक्र परिवर्तित किया, क्या विश्व का कोई भिक्षु ऐसा कर सकता है। यदि ऐसा नहीं कर सकता तो, वो अपने आप को बड़ा कैसे समजता है। इसे ही बुद्ध ने 'अज्ञान' कहा है। बुद्ध को न जानना को ही अज्ञान कहा गया है। जो धर्मचक्र को परिवर्तित करने की ताकत- क्षमता रखते है उसे ही बुद्ध कहते है। और यह करिश्मा सिर्फ डॉक्टर आंबेडकर ने दो हजार साल के बाद इसी धरती पर करके दिखाया, यह क्या सोचने का विषय नहीं है? यह एक विपक्ष की चाल  है- राजनीती है, जो तुम्हे सोचने से  रोकता है।
यदि तुम लोग डॉक्टर आंबेडकर को ही ' मैत्रय बुद्ध ' कहेंगे, तो भारत बौद्धामय होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। अपने बाप को अपना बाप कहने में क्या शर्मन्दगी है। डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर बोधिसत्व नहीं थे। डॉक्टर आंबेडकर मैत्रेय बुद्धा थे। ' बुद्ध एंड हिज धम्म ' में खुद बाबासाहेब ने कहा है की ' कब धम्म सधम्म होता है  '--    ' जब वह ' करुणा ' और ' प्रज्ञा ' से ऊपर उठकर ' मैत्री ' को धारण करता है। FRATERNITY- भाईचारा - बंधुभाव ही भारत का संविधान है। यह संविधान ही BUDDHISM  है।

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