Tuesday 4 June 2013

WHY AMBEDKAR NOT BECAME DHARMASANSTHAPIKA?

                                                           जनसंख्या और भीम प्रतिज्ञा
                              WHY AMBEDKAR NOT BECAME DHARMASANSTHAPIKA?
(1)  1870 से हर वर्ष वर जनगणना आयुक्त द्वारा जनगणना की जो रिपोर्ट प्रकाशित की जाती रही है , उससे भारत की सामाजिक तथा धार्मिक अवस्थाओं के बारे में अन्यत्र कंही भी उपलब्ध न होने वाली अमूल्य जानकारी उपलब्ध है। 1910 से पहले जनगणना आयुक्त का ' धर्मानुसार जनसँख्या ' नामक एक लेख रहता था। इस लेख में (१) मुस्लिम, (२) हिन्दू और (३) ईसाई आदि की जनसँख्या रहती थी। 1910 की जनसँख्या की रिपोर्ट में चालू परम्परा को छोड़कर नई बात अपनाई गई। प्रथम बार हिन्दुओं का तिन भिन्न वर्गो में बटवारा किया गया - (१) हिन्दू , (२) आध्यात्मवादी और आदिवासी  और (३) अछूत।  तब से यह नवीन वर्गीकरण प्रचलित है। (खं-14, पृ-71)
(2) जनगणना आयुक्त ने दोनों वर्गो को बाटने के लिए खास -खास कसोटिया ( देखे भारत की जनगणना (1911) भाग -1, पृष्ठ -117) निश्चित की है, जो शत प्रतिशत हिन्दू नहीं , ऐसी जातियों और कबीलों के लक्षण इस प्रकार दिए गए है --
            (१) ब्राह्मणों का प्रभुत्व नहीं मानते  (२) किसी ब्राह्मण अथवा अथवा अन्य किसी मने हुए हिन्दू गुरु     से मंत्र नहीं लेते  (३) देवों को प्रमाण नहीं मानते (४) हिन्दू देवी -देवताओं को नहीं पूजते  (५ ) अच्छे ब्राह्मण उनका संस्कार नहीं करते  (६ ) उसका कोई ब्राह्मण पुरिहित नहीं होता (७) हिन्दू मंदिरों के गर्भ गृहों में नहीं जा सकते (८) स्पर्श अथवा एक निश्चित सीमा के भीतर आकर उसे अपवित्र कर देते है (९) अपने मुर्दों को गाढ़ते है  और (१०) गोमांस खाते है और गो के प्रति श्रद्धा नहीं रखते।
             इन दस कसोटियो में से कुछ ऐसी है जो हिन्दुओ को आध्यात्मवादियो और आदिवासियों से पृथक करती है। शेष ऐसी है जो उन्हें अछूतों से पृथक करती है। अछूतों को हिन्दुओ से पृथक करने वाली क्रम
संख्या - २ , ५ , ६ , ७  तथा १० है।
(3) डॉ . बाबासाहेब आंबेडकर ' अछूत - कौन थे और कैसे हो गए ' नामक शोधपूर्ण ग्रन्थ में लिखते है ------
      अछूतों की उत्पत्ति के दो मूल कारण है --(१ ) ब्राह्मणों द्वारा बहिष्कृत लोगो और बौद्धों के प्रति तिरस्कार
       भाव रखना तथा घृणा करना। (२) बहिष्कृत लोगो द्वारा गोमांस भक्षण जरी रखना जबकि दूसरों ने उसे
       त्याग दिया था।
 (4) बौद्ध नागवंशीय थे।
 (5) अछूत बौद्ध थे। नागवंशियो ( बौद्धों ) को अछूत बनाया गया। हिन्दू धर्म में अछूतों के साथ जानवरों से
       बद्त्त्तर व्यवहार है।
 (6) मुसलमान सम्राटो ने अछूतों को इस्लाम मजहब में भाईचारा का दर्जा देकर मुसलमान बनाया। इसलिए  
       मुसलमानों से नफ़रत करते है। भारत के सभी मुसलमान अछूत है।
(7) गुरु गोविन्द सिंग ने अछूतों को सिख बनाया।
(8)  ब्रिटिश साम्राज्य ने अछूतों को ईसाई रिलिजन में भाईचारा का दर्जा देकर ईसाई  बनाया।
(9) लेकिन अछूतों की स्थिति भी इस्लाम मजहब और ईसाई रिलिजन में गरीबी की और लाचारी की थी।
(10) बाबासाहेब आंबेडकर अछूत थे। अछूतों की स्थिति भिन्न भिन्न धर्म में गुलाम, दास,गरीब और लाचारी
      देखकर बाबा ने महाराष्ट्र के येवला कांफ्रेंस 13 अक्तूबर 1935 को हिन्दू धर्मं को त्याग ने की प्रतिज्ञा की।
      यही है वह ' भीम प्रतिज्ञा ' -- हिन्दुओं के पैरोतले की जमीन खिसक गई। हिन्दुओं को लगा यदि आंबेडकर
      इस्लाम मजहब अपने अनुययियो के साथ काबुल करते है तो भारत इस्लाम देश बन जायेगा। यदि
      आंबेडकर ईसाई रिलिजन अपने अनुययियो के साथ अंगीकार करते है तो भारत ईसाई देश बन जायेगा।
(11) विश्व के धर्म के ठेकेदारों ने डॉ . बाबासाहेब आंबेडकर को सत्ता, रूपया और न जाने किस किस बात का
        लालच दिखाया। लेकिन डॉ . आंबेडकर को कोई भी लालच खरीद नहीं सकी --- जैसे सिद्धार्थ गौतम को
        कोई भी सुन्दरिया लुभा नहीं सकी और महाराजा शुद्धोधन, बिम्बिसार और प्रसेनजित अपना राज्य भी 
        देकर लुभा नहीं सके।
(12) जिन्हा ने मुसलमानों के लिए भारत का विभाजन करके पाकिस्तान बनाया। और पाकिस्तान बन गया।
(13)  डॉ . आंबेडकर ने 1935 में स्वंतंत्र वसाहत - SEPARATE SETTLEMENT माँगा था -- तो सम्पूर्ण भारत
         में  गाँधी और उसकी कांग्रेस ने आंबेडकर और अछूतों के खिलाफ ऐसा होहल्ल मचाया, वातावरण बनाया
         की जैसे युद्ध छिड़ गया हो, डॉ . आंबेडकर को जान से मार ने की कोशिश की गई, भारत भर अछूतों के
         मकान जलाये गए, गाँव जलाये गए, खून-खरबा हुआ- ये सब गाँधी और उसके कांग्रेस ने करवाया।
(14) गाँधी और उसकी कांग्रेस ने मुसलमानो को अलग पाकिस्तान हंसी और खुषी से दिया और एक कोरा  चेक
        भी दिया- लेकिन गाँधी और उसकी कांग्रेस ने आंबेडकर और उसके जाती के लोग अछूतों के साथ ऐसा
        दुश्मन जैसा व्यवहार क्यूँ किया ? देखिये पूना पैक्ट।
(15) हिन्दू मुसलमान से डरता है क्यूँ की एक मुसलमान 10 हिन्दुओ के बराबर होता है ऐसा डॉ . आंबेडकर
        अपनी पुस्तक थॉट्स आन पाकिस्तान में लिखते है।
(16) यदि डॉ . आंबेडकर और उसकी जनता अछूत सेना मुसलमान बन कर इस्लाम मजहब कबुल करते, तो
        आज भारत की हालत क्या होती? हिन्दुओ ने कभी सोचा है ?
(17) यदि डॉ . आंबेडकर और उसकी अछूत सेना क्रिस्चियन बनकर ईसाई रिलिजन को अपनाती तो, भारत का
        नक्शा क्या होता? क्या कभी हिन्दुओ ने सोचा है?
(18) गाँधी और उसकी कांग्रेस और हिन्दुओ को याद होगा -- पूना के पास के ' कोरेगांव का युद्ध '. इस युद्ध में
        अछूत- महार सेना ने ' मराठा साम्राज्य ' का विध्वंश- विनाश किया था। डॉ . आंबेडकर जब जीवित थे तो
        हर वर्ष - 1 जानेवारी को कोरेगांव जाकर कोरेगांव के शहीद स्तम्भ के निचे अपना नतमस्तक करके
        प्रणाम करते थे।
 (19)  डॉ . आंबेडकर ने 13 अक्तूबर 1935 से 13-14 अक्तूबर 1956 याने पुरे 20 वर्ष हिन्दुओ को सोचने के लिए
          समय दिया। इस 20 वर्ष के दौरान डॉ , आंबेडकर ने  भारत को एक विश्व - संविधान दिया , जिसमे
          अमेरिका, कनाडा, ब्रिटन, साऊथ अफ्रीका, थाईलैंड और अनेक डेमोक्रेटिक देशो के मानव - अधिकारों के
          मूल अधिकार- विधान है और भारत के शाशित, शोषित, अनाथ, असहाय, दलित, पीड़ित, माइनॉरिटीज
          और वंचित महिलाओ के लिए मूल अधिकार सुरक्षित किये है जिसे 'FUNDAMENTAL RIGHTS'-
         (1) Liberty (2) Equality (3) Justice and (4) Fraternity कहते है।
(20) हिन्दू कोड बिल--  ऐसा बिल  जो भारत की नारी को ' हिन्दू ओ की धर्मशास्त्रों की गुलामी ' से आज़ादी
        दिलाती है --डॉ आंबेडकर ने नेहरू और उनके मंत्रिमंडल के सामने पास करने के लिए रखा तो सभी विरोधी
        हो गए देखकर डॉ आंबेडकर ने अपनी मंत्री पद से त्याग दिया। भारत की नारी के लिए ऐसा महान  त्याग
        आज तक किसी ने किया है? आज के तारीख में ' महिला आरक्षण बिल ' के पक्ष में BJP PARTY या
        कांग्रेस के law Minister ने अपनी मंत्री पद से त्याग नहीं दिया।
(21) विश्व के जितने भी धर्म संस्थापक हुए --जैसे बुद्ध, क्राइस्ट, कृष्ण, मोहम्मद पैगम्बर, नानक आदी इन
        सभी में डॉ आंबेडकर सबसे ज्यादा पढ़े - लिखे थे और उनके पास विश्व के विख्यात युनिवेर्सिटीयोँ की
        डॉक्टरेट की अनेक विषयों में डिग्रियां थी। ऑक्सफ़ोर्ड युनिवर्सिटी के मुताबित  डॉ आंबेडकर का दुनियां
        के 100 INTELLECTUALS में TOP ONE और कार्ल मार्क्स का नम्बर तीसरे स्थान पर आता है .
        कार्ल मार्क्स यह धर्म संस्थापक नहीं है क्योंकि कार्ल मार्क्स धर्म को अफु की गोली मानता है।
(22) यदि डॉ आंबेडकर चाहते तो अपना एक नए धर्म की स्थापना कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं
        किया? क्यों ?
(23) महाबोधि सोसायटी, कलकत्ता की मासिक पत्रिका 'महाबोधि ' मई 1950 में डॉ आंबेडकर का एक लेख
        'The Future of Buddha and His Religion' प्रकाशित हुआ था--उसमे लिखा था "संत महात्माओं के
        निर्माण के दिन अब बित चुके हैं और संसार में कोई नया धर्म पैदा होने वाला नहीं है। संसार को प्रचलित
        धर्मों में से ही किसी एक धर्म को चुनना होगा ".  डॉ आंबेडकर ने धर्मं परिवर्तन के पहले ही यह
        भविष्यवाणी की थी। और भी एक दूसरा कारण  है---
(24) और वह कारण यह है की हिन्दुओं के 'ईश्वर अवतारवाद ' को ही समाप्त कर दिया। 'गीता ' के मुताबित
        अब कृष्ण ईश्वर के रूप में दोबारा पैदा नहीं होगा। इस्लाम के मुताबित मोहम्मद पैगम्बर यह आखरी
        पैगम्बर है---अब इस्लाम में भी दूसरा पैगम्बर पैदा नहीं होगा। बाइबल के मुताबित क्राइस्ट यह आखरी
        क्राइस्ट है-- दूसरा क्राइस्ट पैदा नहीं होगा। सिद्धार्थ गौतम बुद्ध भी यह आखरी बुद्ध है-- कोई दूसरा बुद्ध
        पैदा होने वाला नहीं ऐसा डॉ आंबेडकर भविष्यवाणी कर के गए है। 
 (25) डॉ आंबेडकर को  --बुद्ध, क्राइस्ट, मोहम्मद पैगम्बर, कृष्ण, नानक आदि से कम आखना यह विश्व की 
        सबसे बड़ी भूल होगी और इस भूल को एक जघन्य अपराध माना जाएगा।